Wednesday, December 3, 2008
बेलपहर उछब -२००८
आज जहाँ नाट्य कला धीरे धीरे दर्शकों से दूर होरेही हे इस उछब एक मात्र बिकल्प रहजता हे नाटक को दर्सकों तक पहुचने के लिए ।
Thursday, November 6, 2008
मेरे जीवन के सबसे बड़ा सम्मान .
हम सालता परिवार के आभारी हें।
Thursday, October 2, 2008
Tuesday, September 30, 2008
दिल्ली में मिर्रोर थिएटर
Friday, September 26, 2008
Delhi में मिर्रोर थिएटर
Saturday, August 2, 2008
नाटक कपटा (साढी)

कपटा का मतलब होता हे साढी । इसी साढी न केबल किसी सुंदर महिला की शोवा बदती हे बल्कि इसी साढी हमरी संस्कृति की अंग अंग से जुदा हुआ हे । आज जहाँ हर एक रिश्ता बैमानी से लगती हे जहाँ हर एक रिश्ता पैसे के पैमाने पे टोला जाता हो वहां इंसानियत कहीं न कहीं आज भी इसी समाज में जिन्दा हे । इसी पर आधारित हमारा उड़िया,संबलपुरी नाटक कपटा ।
एक साधारण चोर चोरी करते हुए उसकी हातों से एक युवक का खून हो जाता हे । उसे पता चलता हे की उसी युबक के एलाबा उसकी घर में देख भाल करने के लीए अंधी बहन का कोई नहीं हे । यहाँ चोर बहन का प्यार पा कर चोर भी आपना भाई का कर्त्यब निभाते हुए आपना आँख दान करदेता हे ।
यह नाटक भी हमारी सफल नाटक में से एक हे । राउरकेला , संबलपुर ,बरगढ़, दमंजोदी में सर्ब श्रेस्ठ नाटक का खिताब के साथ साथ अभिनेता, अभिनेत्री का पुरुस्कार जित चुका हे ।
२००७ में इसी नाटक को उदिशा नाटक अकादेमी, भुबनेश्वर में नाट्य समारोह में प्रर्दशित हो चुका हे ।