Saturday, August 2, 2008

नाटक कपटा (साढी)



कपटा का मतलब होता हे साढी । इसी साढी न केबल किसी सुंदर महिला की शोवा बदती हे बल्कि इसी साढी हमरी संस्कृति की अंग अंग से जुदा हुआ हे । आज जहाँ हर एक रिश्ता बैमानी से लगती हे जहाँ हर एक रिश्ता पैसे के पैमाने पे टोला जाता हो वहां इंसानियत कहीं न कहीं आज भी इसी समाज में जिन्दा हे । इसी पर आधारित हमारा उड़िया,संबलपुरी नाटक कपटा ।


एक साधारण चोर चोरी करते हुए उसकी हातों से एक युवक का खून हो जाता हे । उसे पता चलता हे की उसी युबक के एलाबा उसकी घर में देख भाल करने के लीए अंधी बहन का कोई नहीं हे । यहाँ चोर बहन का प्यार पा कर चोर भी आपना भाई का कर्त्यब निभाते हुए आपना आँख दान करदेता हे ।


यह नाटक भी हमारी सफल नाटक में से एक हे । राउरकेला , संबलपुर ,बरगढ़, दमंजोदी में सर्ब श्रेस्ठ नाटक का खिताब के साथ साथ अभिनेता, अभिनेत्री का पुरुस्कार जित चुका हे ।


२००७ में इसी नाटक को उदिशा नाटक अकादेमी, भुबनेश्वर में नाट्य समारोह में प्रर्दशित हो चुका हे ।