Saturday, July 12, 2008

नाटक द्वितीय गाँधी एक सफलता की और



हमारा सु परषिद नाटक द्वितीय गाँधी ने हमे बहुत सफलता दी हे। इस नाटक में युवा बर्गो में गाँधी जी के आदर्श या फ़िर यूँ कहे की एक युवा को गाँधी जी की मार्ग दर्शन पर चलने का एक प्रयोग किया गया हे।


जरा सोचिये अगर इसी समय गाँधी जी इस भारत वर्ष में किसी दुसरे रूप में आते और देखते जिस अहिंसा के दम पर इस देश को स्वतंत्रा दिलियी हे । उनकी tyag को उनकी आदर्शो को आज हम कितनी यद् रख पैन हें । अगर आज बे की दूसरी रूप में हमारे बिच आजाएं उन्हें यह देश की दुर्दशा देख कर कितनी दुःख होगी। आज के तारीख में हमें क्या किसी दुश्री गाँधी यानि की द्वितीय गाँधी की जरुतात हाय ?


नाटक का मंचन :-


१९९५ - बहु भासी नाटक प्रतियोगिता, कटक


१९९५- सर्व भारतीय नाटक प्रतियोगिता, अलाहाबाद


२००१- नाटक मोहोसव, संबलपुर


२००१- कोशली नाट बड़ी , बोलांगीर


२००२- नाटक मोहोसव, बरगढ़


२००३- प्रयोगात्मक नाटक समारोह (पुर्बंचल सांस्कृतिक केन्द्र) कोल्कता


२००८- रंग प्रतिभा, संगीत नाटक अकादेमी, नै डेल्ही के और से

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